Saturday, July 16, 2016

तुम्ही हो !!!

मेरे सारे संसार तुम्ही हो,
संसार के भी पार तुम्ही हो

जीत तुम्ही हो , हार तुम्ही हो
जीत हार के पार तुम्ही हो

भीड़ तुम्ही हो , वीरान तुम्ही हो
शब्दो का माया जाल तुम्ही हो

अभिमान तुम्ही हो , प्यार तुम्ही हो
जीवन का आधार तुम्ही हो

स्वास तुम्ही हो , प्राण तुम्ही हो
मेरा अपना आप तुम्ही हो

गीत तुम्ही हो , ग़ज़ल तुम्ही हो
ग़ज़ल के सारे शेर तुम्ही हो

"खिलोना" तुम्ही हो , खेल तुम्ही हो
धरती गगन का मेल तुम्ही हो
धर्म तुम्ही हो , कर्म तुम्ही हो
इस जीवन का मर्म तुम्ही हो

Saturday, November 29, 2014

वो कभी थे ,पर कभी नही थे

वो  कभी थे ,पर कभी नही थे  

वो  कभी थे ,पर कभी नही थे 
वो जो कभी अपने थे,पर पास नही थे
वो जो कभी पास थे ,पर अपने नहीं थे 

वो  जो कभी ख़ुशी में थे ,तो  गम में भी थे 
वो जो कभी आधी रात चाय की दुकान पे थे 
तो कभी दिन दहाड़े मधुशाला में भी थे 

वो जिनकी जेबे छोटी, पर दिल बड़े थे 
वो कभी पेपर की रातो में भी, 
नशे में धुत पड़े थे 
वो कभी हमारी हर गलती पे भी,
साथ हमारे खड़े थे 
वो कभी अपनी अपनी जिद पे भी अड़े  थे 

वो वही  थे, जिन्हे दिल के सरे राज बताया करते थे 
वो थे तो मसखरे, पर  गंभीर मुद्दे  भी सुलझाया करते थे 
वो, वो कभी मित्र  तो कभी राजदार बन जाया करते थे 
वो कभी सगो से भी सगे, कभी अनजान बन जाया करते थे 

वो लड़कपन के प्यार की टीस साँझा करते थे 
वो अपने सपने, अपनी हार, अपनी जीत भी साँझा करते थे 

वो, वो  आज भी हैं , पर थोड़े बड़े हो गए हैं 
हमारी दोस्ती, हमारा अपनापन और  हमारा  प्यार  तो  हैं  
पर मेरी जीत,  मेरी हार , मेरा राज , मेरा संसार जैसे  मुद्दे  बड़े हो गए हैं 

रात बीत जाने पे दीपक जले तो क्या फायदा 
वो उदास तो हैं पैर मिले पर  मिले नही तो क्या फायदा 
मशाल हो पर अँधेरा दूर न  हो तो क्या फायदा 
चार यार तो हो पर ठहठके  न हो तो क्या फायदा 

जब साथ साथ हैं, तो पास पास भी होने  चाहिए 
ये गिलास कब तक खाली रहे, अब इनमे जाम भी होने चाहिए 
दिल हलके, दिमाग में राहत और मस्ती भरी शाम भी होनी चाहिए 

वो , वो जो थे , जो हैं और होंगे भी "खिलौना " उनके नाम भी पैगाम होना चाहिए 








Monday, June 25, 2012

Mulakat...

                                          मुलाकात  

एक  बार चलते चलते यू ही, प्यार मुझे  प्यार पड़ा हुआ मिल गया 
मुझे देखकर, मुरझाये फूल सा खिल गया

मने पुछा केसे हो भाई,
कहने लगा
इंसान की सूरत देखने को तरस रहा हू
बिना जल की मछली की तरह  तड़प  रहा हू
प्यार हू, प्यार के लिए भटक रहा हू,
कोई इंसान बने तो मुझे भी अपना ले
इसी उम्मीद में लटक रहा हू
कश्मीर से लाहोर,लाहोर से कश्मीर यात्रा  कर रहा हू

में थर्राया,गरमाया, काले-कलूटे तवे की तरह तिम-तिमाया
और पुछा क्या मैं तुम्हे इंसान नही दीखता
दो कान,दो आँख,दो हाथ, दो पैर और एक नाक मेरी भी हैं

सूखे तलब सी सही, थोड़ी बुद्धि तो मेरी भी हैं

वो मेरे शकुनी मामा की तरह मुस्कुराया
थोडा ठेरा  फिर  और फिर फ़रमाया
कहने लगा
इंसान दिखते तो हो पर हो नही
कुम्भकरण सी भूधी के साथ ,इंसानी शरीर भी रखते हो
तुमसे अछे तो जानवर हैं
कम से कम १ दूजे के पार्टनर हैं

भूख लगे तो जायदा से जायदा शिकार करते हैं
तम्हारी तरह कभी वर्ल्ड ट्रेड तो कभी पार्लिमेंट पे हमला नही करते हैं

ये सुन कर मेरा गुसा कोका-कोला की बोतल की तरह ठंडा पड़ गया
प्यार करने और करते रहने का मन कर गया
यू लगा जेसे तडपती मछली को अपना जल मिल गया
बन के 'खिलौना' प्यार के हाथो में बंधे रहने का  मन कर गया


 

 
 




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Monday, February 21, 2011

Vo Door Jata kyon Hain ???

                                                      वो दूर जाता क्यों हैं ???

जिनके पास जाना चाहे  वो दूर जाता क्यों हैं
लेकर अपनी बाहों में खंजर चुभाता क्यों हैं
फूलो सी बाते हैं उनकी खंजर साथ लाता क्यों हैं
जिनके पास जाना चाहे  वो दूर जाता क्यों हैं???

प्यार को लेकर चला था प्यार को बडाने चला था
शूल नफरत के जमाना  चुभाता  क्यों हैं
किसी का भला किया तो क्या बुरा किया मैने
भलाई का सिला बुराई से चुकता क्यों हैं
जिनके पास जाना चाहे  वो दूर जाता क्यों हैं???

प्यार करना जुर्म हैं ये जमाना सिखाता क्यों हैं
हमारी दोस्ती को ,हमारे विश्वास को २ दिन का बतलाता क्यों हैं
दोस्ती होती हैं सदा के लिए,विश्वास होता हैं सदा के लिए
फिर भी जमाना सचाई को झुट्लाता क्यों हैं
जिनके पास जाना चाहे  वो दूर जाता क्यों हैं???


दोस्ती को दो-सथ्यी  बनाना हमारा कर्म नही
विश्वास को विष का वास बनाना हमारा धरम नही
फिर भी हमारे विश्वास को १० दिन का बताता क्यों हैं
जिनके पास जाना चाहे  वो दूर जाता क्यों हैं???

उन्हें हमारी दोस्ती कबूल नही चलो यू ही सही
उन्हें हमारे विश्वास पर विश्वास नही चलो यू ही सही
पर दिल में उनकी जगह कोई और ले पाए
एसा हो पता भी नही
 वरना
बन के 'खिलौना'  कलम से ये सब लिख पाता क्यों हैं
जिनके पास जाना चाहे  वो दूर जाता क्यों हैं???





 






   



 



Saturday, February 19, 2011

Chun Chun Ke Nafrat Ke Kante, Pyar Ke Phool Khilate Jaye !!!

                चुन चुन  के नफरत के कांटे प्यार के फूल खिलाते जाये



अगर कोई समझ सके तो हमको भी ये समझाए
क्यों चुने नफरत के कांटे ? प्यार के क्यों फूल खिलाये ??
नफरत प्यार से क्या लेना देना, मुफ्त में क्यों  दिमाग खपाए
जीवन की गाड़ी जेसे चले वेसी चलाये
इधर उधर क्यों ब्रेक लगाये
चलते जाये चलते जाये  चलते जाये   

प्यार से चल सके तो चलाते जाये,वरना  नफरत का ही तेल पिलाये
निंदा,चुगली,वैर,इर्ष्य के सस्ते सस्ते पार्ट्स लगाये

पर

एसी गाड़ी मंजिल पे कभी न पहुच  पाए
दुश्मनी,अकेलापन,भेदभाव जेसे स्टेशनो पे ही रुक  जाये
तो केसे पूछे मंजिल पे,केसे सबको अपना बनाये???

जब कुछ  समझ न आया , पुरे मुर्शद ने ये समझाया  
प्रेम करे, प्रेम फलाये, खुद महके सबको महकाए

 तो आओ हम भी मिल्झुल कर
चुन चुन  के नफरत के कांटे प्यार के फूल खिलते जाये

प्यार को जिन्दगी का बनाये रुल
नफरत,वैर,भेदभाव पे फेके  धूल
प्रेम,समदृष्टि मित्रता के रखे टूल
"खिलौना" के भी बने रहे ये असूल
खुद महके सबको महकाए
प्रेम करे प्रेम फलाये
चुन चुन  के नफरत के कांटे प्यार के फूल खिलते जाये
 
    


        

Friday, February 18, 2011

Anjaan Pyar !!!

                                                अनजान प्यार

मेरी धडकनों में बसी जान हो तुम                                     
हर वक़्त, हर लम्हा मेरे साथ हो तुम
सांसो में बसे प्राण हो तुम
मेरे नाम की  पहचान हो तुम
मेरे प्यार से अनजान हो तुम
मेरे प्यार से अनजान हो तुम
...
बदलो में छुपी मेघ की फुहार हो तुम
कृषण की बांसुरी में प्रेम की च्न्कार हो तुम
राधा की पुकार हो तुम
मीरा की आस हो तुम
मेरे प्यार से अनजान हो तुम
मेरे प्यार से अनजान हो तुम
...
कवितायों में अलंकार हो तुम
किसी शायर का ख्वाब हो तुम
चकोर का चाँद हो तुम
चंचल हवा का एहसास हो तुम
मेरे प्यार से अनजान हो तुम
मेरे प्यार से अनजान हो तुम
...

मेरे जीवन का अंतिम अंजाम हो तुम
छोड़  तुम्हे न जी पाउँगा वो एहसास हो तुम
काश तुम भी कभी आ कर कहो मेरे लिए कुछ खास  हो तुम
....
मेरे प्यार से क्यों अनजान हो तुम
मेरे प्यार से क्यों अनजान हो तुम
मेरे प्यार से क्यों अनजान हो तुम???








 




 
 


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Thursday, February 17, 2011

Reewaz !!!

                                     रिवाज़

रिवाजों की कब्र  में और कितने रिश्ते दफनाये जायेंगे
झूठी शान के इस कफ़न में और कितने सपने दबाये जायेंगे
अभी और गहरायेंगी जुल्मो की अमावस्या
जब तक न हटेगी की रिवाजों की काली बदलिया
अभी और गुलशन सम्शान बनाये जायेंगे
...
जब रिवाजों का पवित्र अमृत  ही,
विषधर की फुन्कार बने
जब प्रेम का पवन रिश्ता ही, 
हवस की एक pechan  बने
तो  क्यों न अब रिवाज़ बदल दे
तो  क्यों न अब रिवाज़ बदल दे??? 
.... 
जब मर्यादा की अद्रश्य रेखा ही
सीता के लिए अभिशाप बने
जब श्रधा रूपी नारी ही
सति पर्था की भेट chde 
तो  क्यों न अब रिवाज़ बदल दे
तो  क्यों न अब रिवाज़ बदल दे???
...
जब भूख में तडपते मासूम बचे   ही,रोटी के लिए हेवान बने
जब चंद सिको की खातिर ही ,सगे भाई एक दूजे पे वार करे
तो  क्यों न अब रिवाज़ बदल दे
तो  क्यों न अब रिवाज़ बदल दे???
...
जब ६० साल के बुजुर्ग पिता का
उसका बेटा ही कर दे बहिष्कार
जब ४ साल की मासूम बची का 
उसका पिता ही कर दे बलत्कार
तो  क्यों न अब रिवाज़ बदल दे
तो  क्यों न अब रिवाज़ बदल दे???
...

मर्यादा, रिश्ते,बंधन भुलाकर
प्यार को ही रिवाज़ बना दे
मंदिर, मस्जिद,church  हटाकर
प्यार को ही भगवान् बना दे

तो  क्यों न अब रिवाज़ बदल दे
तो  क्यों न अब रिवाज़ बदल दे???
तो  क्यों न अब रिवाज़ बदल दे?????